Tuesday 17 August 2010

गढ़वाली जीवन का चित्रित बर्णन...


आज मैं यहाँ कुछ और तस्वीरों के साथ उपस्थित हुआ हूँ ये हमारे गढ़वाल का सबसे प्रचलित ग्रह उद्योग है ,मधुमाखी पालन
हर गाँव के हर मकान के हर घर के हर कमरे में ये खाना स्पेसल बनाया जाता था मकान बनाते समय
ताकि बाद में कोई परेसानी ना हो
किन्तु जब से पुराने मकान टूटने सुरु हुए और लोगों ने सीमेंट और गारे से मकान बनाने सुरु किये इनकी संख्या भी बाड़ी तेजी से घटी है और आज मधुमख्ही पालन का अस्तित्वा खतरे मैं है
और सबसे विच्त्र बात है सहाद निकलने का तरीका जिस दिन ये कार्य संपन्न होता है बड़ा गरमा-गर्मी का माहोल रहता है घर में मैंने भी पापा के साथ मिलके बहुत सहाद निकला है


ये गाँव की पंचायत का एक प्रया दृश्य है
क्या मधुर वार्तालाप होता है
गरमा गर्मी भी होती है मुधों पर


ये हैं हमारे गढ़वाली की शान हमारे गढ़वाली वीर फोजी भाई

लगभग ३०% लोग यहाँ आर्मी में है घर में खेती बाड़ी भी जोरों के साथ होती है

देश रक्षा के साथ साथ घर की जिमेदारियां भी बखूबी निभाई जाती हैं यह

फोजी भाई विना बर्दी उतारे ही प्याज के खेत में पहुंचे हुए है

इससे बाड़ी मिसाल मैं क्या दूँ .....











1 comment:

  1. वाह अच्छा ब्लॉग है,
    गढवाली ग्रामीण परिवेश की जानकारी से परिपूर्ण्।
    बस ऐसे ही घुमते-फ़िरते पहुंच गए।
    इसमें और भी जानकारियाँ डालें गढवाली संस्कृति के विषय में

    आभार

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