Saturday 4 September 2010

झंगोरा ......(गढ़वाल का चावल )

आज आपलोगों को झंगोरे की भरपूर जानकारी देने की कोसिस करूँगा
ललित भाईजी आप ने पिछली टिपण्णी में कहाथा की उसे चावल की तरह पकाते है तो वो ये आनाज है ।
रोटी बना कर खाने वाला कोदा दूसरा आनाज है
और सही बात है की सुगर के मरीजों को इसी को खाने की राय दी जाती है
और जब दिल्ली रहता था तो पता चला इस कों सांवा के चावल के नाम से लोग जानते है ....
और स्पेसली ब्रत में इसको पका के खाते है ।
ये हमारे गढ़वाल का मुख्य आहार है बस यूँ समझ लीजिये की गढ़वाल का चावल है इसके पीछे कई कारन हैं । गढ़वाल का मोसम इसकी खेती के लिए बहुत अनुकूल है इसकी उपज बहुत होती है सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती सुखी खेती होती है आपको बतादूँ की गढ़वाल में कुछ धान ऐसी भी है जिसकी सुखी खेती होती है तो झंगोरे को इसी के साथ बोया जाता है
आप को आश्चर्य होगा की खेत जहाँ पर उपजाऊ नहीं है या पथरीला है, खेत के किनारों पर झंगोरा बो देते है अच्छी अच्छी जगह पर धान बोते हैं ।
पर होते समय झंगोरा जादा होता है धान कम .......
इसकी खेती अप्रैल में बुआई और सितंबर लास्ट में कटाई होती है ....
और हाँ इस बात का जिक्र जरूर करूँगा की इसे भी कोदे की तरह सेत करने रख देते हैं फिर सर्दियों में कूटते है खलिहान में या तो बैलों को घुमाते है या लाठों से कूटते हैं ।


अभी आप देख रहे है की दूसरा अनाज

....कोणी ...

ये भी झंगोरे की ही प्रजाति है । ....
और ये अनाज सदियों से सिर्फ खिचड़ी के लिए ही मशहूर है, खिचड़ी के लिए ही उगाया जाता है ...और इसकी खिचड़ी ही बन सकती है .....
वीमार लोगों के लिए इसकी खड़ी राम बाण (औषधि ) सिद्ध होती है । .......
झंगोरे का दाना छिक्कल के साथ ग्रे रंग का और कूटने पर सफ़ेद होता है और कोणी का दाना पीला होता है .....

मेरी पिछली पोस्ट (कुछ नाम सुनते ही मुह में पाणी आ जाता है ....) आप ने पढ़ी ना हो तो
आप कों बाता दूँ की मेरी जानकारी में झंगोरे से जो व्यंजन बनते है ये हैं । .....
१ ...झंगोरू ...(चावल की तरह )
२ ... छेंछेड़ू (एक ला जवाब व्यंजन)
३ ...मीठी खीर (दूध के साथ )
४ ... कोणी की खिचड़ी के बारे में तो आप जान ही चुके हैं ....

अब कविता दीदी के शब्दों में कहूँ तो कोणी की खिचड़ी से स्वाद रोटी में होता ही पर मुझे मोका नहीं मिला खाने का आप को मिले तो जरूर खायियेगा ।

3 comments:

  1. धर्म जी-सांवा चावल शायद कुछ लाल रंग लिए होता है- और कोदो सफ़ेद होती है। जानकारी के लिए आभार

    शिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं

    शिक्षक दिवस की बधाई

    ReplyDelete
  2. मध्य प्रदेश में इसे bhgar कहते है जो उपवास में खाई जाती है |

    ReplyDelete
  3. bahut achha laga aapka aalekh... kauni kee khichdi se to mujhe roti meethi lagti hai... aapne iska varnana nahi kiya. ..gehun kee roti ke karan aajkal shahri aadmi hi nahi balki gaon mein log bhi kodo, jhangora, kauni khana bhulte jaa rahe hai..

    ReplyDelete